खुली खिड़की
मैंने एक खिड़की खुली छोड़ दी है आपके झाँकने को
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यार बड़ा सा फोड़ दो एक बार
मेरा साया
छत का वो कोना याद आता है
यह दिल मांगे मोर आई-पी-एल आ हा
कबाड़ी वाला हर बार मांगे, साहब लोहा नहीं है क्या
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यार बड़ा सा फोड़ दो एक बार
7:51 AM Posted In
विस्फोट
1 Comment »
बहुत हुआ अब,
क्या यह छोटे छोटे फोड़ते हो,
क्या यह दो चार मारते हो,
अगर डराना है दुनिया को,
यार बड़ा सा फोड़ दो एक बार।
बस एक बार और सब खत्म।
1 टिप्पणियाँ:
डॉ .अनुराग
said...
सही कह रहे है आप......
July 31, 2008 at 7:03 PM
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खिड़की के पीछे
खुली खिड़की वाले वी जे
दिल्ली, दिल्ली, India
मैंने एक खिड़की खुली छोड़ दी है आपके झाँकने को
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आप आए झाँकने
1 टिप्पणियाँ:
सही कह रहे है आप......
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