मेरा साया

6:22 AM Posted In 3 Comments »

आज कल में अपने साये में खुद को तलाशता हूँ,

साया मेरा मुझ से तेज़ है शायद,

हर समय मुझ से कुछ कदम आगे है वो,

वो शायद मुझ में मुझे ही तलाशता है,

ये भागती दुनिया खुद को खुद से जुदा कर देती है,

आज कल में अपने साये में खुद को तलाशता हूँ।

3 टिप्पणियाँ:

परमजीत सिहँ बाली said...

अपने मनो भावों को बखूबी अभिव्यक्त किया है।

जरुर पढें दिशाएं पर क्लिक करें ।

vipinkizindagi said...

achchi hai

डॉ .अनुराग said...

bahut khoob....goya ki is khidki par ab aana jana laga rahega..