यह दिल मांगे मोर आई-पी-एल आ हा
10:46 AM Posted In आई पी एल 1 Comment »आई पी एल आने से पहले तो लोग सोचते थे क्रिक्ट का स्तर गिर जाएगा, यह होगा वोह होगा, मगर आई पी एल ने क्रिकिट प्रेमीयों को खुल कर खुश किया।
अब समय बीत गया है, लोग आई पी एल को भूलने लगे हैं। मगर जब भी याद आती है, दिल कहता है काश और देखनो को मिल जाता।
और दिल कहता है,
यह दिल मांगे मोर आई-पी-एल आ हा
कबाड़ी वाला हर बार मांगे, साहब लोहा नहीं है क्या
1:05 PM Posted In कबाड़ 3 Comments »पहला लेख लिखने के बाद कुछ और लिखने की तड़प और ज्यादा हो गई है।
किस्सा याद आता है,
सन २००१ की बात है, हमने अपने मकान में कुछ तोड़ फोड़ करवा कर रंगाई पुताई करवाई, अब हर रोज़ कुछ कबाड़ निकलता था तो वहाँ से गुज़रने वाले कबाड़ी को कह दिया - यार हर दूसरे दिन हमारे यहाँ से उठा लेना।
जनाब खुशी खुशी हर दूसरे दिन आ कर ले जाते थे जो भी निकलता था।
यह सिलसिला दो महीने तक चला। चलो भई हमारा काम ठीक निपट गया।
आखिरी दिन हमले उन का शुक्रिया किया और कहा अब महीने दो में पूछ लिया करना।
यह सब कई महीनो चला, कबाड़ बिकता रहा, महीने दर महीने
मगर हर बार जाते जाते पूछ बैठता - साहब लोहा नहीं है
कई महीने हो गए एक दिन तिलमिला के कहा, यार यह लोहा नहीं है की रट बंद करो या मेरा पीछा छोड़ो।
बाजू में खड़े खुराना जी बोले (शायद मुझे कभी गुस्से में नहीं देखा था उन्होंने) लगता है आपने इसे कई किलो लोहा बेचा था। मोटी कमाई हुई होगी उस से।
तब याद आया एक कमरा तोड़ने पर जो लोहा निकला था वो बेचा था,
खैर फिर नहीं पूछा उसने।
पहला लेख
12:33 PM Posted In पहला लेख 0 Comments »सबसे पहले शुक्रिया उस दोस्त का जिसने मुझे व्लॉगर का पता दिया तींन घण्टे मेरे लिए निकाले ओर इस बेहद सुखद चीज़ से अवगत कराया।
उम्मीद है उन का यह प्रयास मेरे जीवन में कुछ फरक लाए।